नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला । जरे सुरासुर भये विहाला ॥ मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥ सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥ जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।। जन्म जन्म https://shivchalisalyricsinhindip00234.ourabilitywiki.com/9432365/5_essential_elements_for_shiv_chalisa_lyrics_in_hindi_pdf_download