इसके बाद सर पर जालीदार टोपी धारण कर एकांत वाले कमरे में नमाज पढ़ने की अवस्था में बैठ जाए. उच्च कोटि के साधक यक्षिणी में स्वरूप या तो माँ स्वरूप लेते है या पुत्री स्वरूप. Practitioners ought to have ever highly regarded the totally free will and liberty of people https://vashikaran61362.uzblog.net/how-to-do-vashikaran-kaise-hota-hai-for-dummies-46284880